Saturday, 19 September 2020

पुष्पक्रम : विभिन्न प्रारूप ( भाग 5 )

2 --ससीमाक्षी पुष्पक्रम - इस प्रकार के पुष्प क्रम का मुख्य अक्ष पुष्प में समाप्त होता है। इसमें पुराने पुष्प ऊपर की ओर तथा नई कलियां नीचे की तरफ लगी होती है इस प्रकार के पुष्प क्रम को बेसिपेटल सक्सेशन ( Basipetal succession ) कहते हैं ये निम्न प्रकार के होते हैं --
  1- एकल (Solitrary ) -- इसमें केवल एक पुष्प लगता है । यह पुष्प अग्रस्थ ( apical or terminal ) अथवा कक्षस्थ ( axilary ) हो सकता है ।
  2- एकल ससीमाक्ष ( Unichasial cyme ) -- इसमें प्रथम अंतस्थ ( terminal )  के नीचे केवल एक पुष्प बनता है यह दो प्रकार का होता है ---
( क) - कुण्डलिनी रूप ( Helicoid unichasium ) - जब एकल शाखी क्रम में पुष्प एक ही तरफ बनते हैं जैसे या तो दाहिनी तरफ या फिर बाईं तरफ , कुण्डलिनी रूप एकल शाखी पुष्पक्रम कहलाता है । 
  (ख) - वृश्चिकी एकलशाखी ( Scorpoid unichasium ) - जब एकल शाखी क्रम में पुष्प एकान्तर दिशाओं में लगते हैं । 
  3- द्विशाखी ससीमाक्ष ( Dichasial cyme ) -- जब पुष्प के नीचे दो पार्श्ववीय ( lateral) पुष्प उत्पन्न होते हैं तो   द्विशाखीससीमाक्ष होता है। 
  4- सिनसिनस ससीमाक्ष ( Cincinous cyme ) -- इस प्रकार के पुष्प क्रम में पहले द्विशाखी ससीमाक्ष मिलता है जो उत्तरोत्तर क्रम में एकलशाखी हो जाता है ।

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