1- एकल (Solitrary ) -- इसमें केवल एक पुष्प लगता है । यह पुष्प अग्रस्थ ( apical or terminal ) अथवा कक्षस्थ ( axilary ) हो सकता है ।
2- एकल ससीमाक्ष ( Unichasial cyme ) -- इसमें प्रथम अंतस्थ ( terminal ) के नीचे केवल एक पुष्प बनता है यह दो प्रकार का होता है ---
( क) - कुण्डलिनी रूप ( Helicoid unichasium ) - जब एकल शाखी क्रम में पुष्प एक ही तरफ बनते हैं जैसे या तो दाहिनी तरफ या फिर बाईं तरफ , कुण्डलिनी रूप एकल शाखी पुष्पक्रम कहलाता है ।
(ख) - वृश्चिकी एकलशाखी ( Scorpoid unichasium ) - जब एकल शाखी क्रम में पुष्प एकान्तर दिशाओं में लगते हैं ।
3- द्विशाखी ससीमाक्ष ( Dichasial cyme ) -- जब पुष्प के नीचे दो पार्श्ववीय ( lateral) पुष्प उत्पन्न होते हैं तो द्विशाखीससीमाक्ष होता है।
4- सिनसिनस ससीमाक्ष ( Cincinous cyme ) -- इस प्रकार के पुष्प क्रम में पहले द्विशाखी ससीमाक्ष मिलता है जो उत्तरोत्तर क्रम में एकलशाखी हो जाता है ।
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