Saturday, 19 September 2020

पुष्प क्रम : विभिन्न प्रारूप (भाग 4 )

5- समशिख ( Corymb ) - इसमें सभी पुष्प एक ही ऊंचाई पर मिलते हैं इसलिए नीचे वाले पुष्पों के पुष्पवृंत लंबे होते हैं तथा ऊपर वाले पुष्पों के पुष्पवृंत छोटे होते हैं ; उदाहरण - 
कैंडी टफ्ट (Iberis )        
  6 -  छत्रक ( Umbel ) - इसमें मुख्य अक्ष संघनित होता है तथा सभी पुष्पों के वृंत एक ही स्थान से निकलते हुए प्रतीत होते हैं। जैसे - धनिया ( Coriandrum ) । 
  7-   मुंडक ( Capitulum ) - इसमें पुष्पक्रम की अक्ष अत्यंत संघनित हो जाती है तथा अवृंत पुष्प ( sessile flower ) सहपत्र चक्र ( involucre of bract ) के द्वारा गिरे रहते हैं ।
  यदि मुंडक के सभी पुष्प समान होते हैं तो वह सम पुष्पी  अथवा homogenous. कहलाता है और यदि मुंडक में दो प्रकार के पुष्प बिंब पुष्पक ( disc florets ) तथा रष्मि पुष्पक ( ray florets ) पाए जाते हैं तो यह विषम पुष्पी ( heterogenous )  कहलाता है । उदाहरण  - सूर्यमुखी (helianthus ) मैं दोनों प्रकार के पुष्प पाए जाते हैं Launea में सम पुष्पी  मुंडक पाया जाता है । 
 जब पुष्प वृंत के नीचे एक छोटी पत्तीनुमा संरचना मिलती है तब वह सहपत्र (bract) कहलाती है पुष्पवृंतो के नीचे यदि सहपत्रों का चक्र मिलता है तो उसे सह  पत्रिकाचक्र ( involucel )  कहते हैं । जब यह चक्र पुष्पावलि वृंत के चारों ओर मिलता है तब इसे सहपत्र चक्र ( involucre ) कहते हैं ।  

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