Saturday, 19 September 2020
पुष्पक्रम : विभिन्न प्रारूप (भाग 1)
आवृतबजी पौधों में जननांग ( reproductive organs ) एक विशेष रूपांतरित प्ररोह पर जिसे पुष्प कहते हैं , पुष्प काल आने पर उत्पन्न होते हैं । पुष्पी पौधे पर अकेले अथवा छोटे बड़े समूहों में उत्पन्न होते हैं इसी को पुष्पक्रम कहते हैं । पुष्प सामान्यतया शीर्षस्थ या कक्षस्थ कलिका से बनता है । पुष्प बनाने वाली कलिका पुष्प कलिका कहलाती है और जिस पत्ती पर कक्ष से पुष्प कलिका निकलती है उसे सहपत्र कहते हैं । ऐसी पुष्प को सहपत्री ( bracteate )और जब सहपत्र नहीं होता तो पुष्प सहपत्र रहित (ebracteate) कहलाता है । कई बार शाखा पर सामान्यता एक ही पुष्प होता है , तो एकल ( solitary) कहलाता है जो स्थिति के अनुसार कक्षस्थ अथवा शीर्षस्थ हो सकता है । अन्यथा एक शाखा पर अनेक पुष्प उत्पन्न होते हैं जब कुछ समूहों में उत्पन्न होते हैं तो पौधे का पुष्प प्रदेश वर्दी प्रदेश से स्पष्ट रूप से अलग पहचाना जाता है। ऐसी अवस्था में किसी पुष्पों का समूह पुष्पक्रम (inflorescence) कहते हैं । शाखा को पुष्पाक्ष अथवा पुष्पावलिवृंत ( peduncle ) कहते हैं । जब शाखा चपटी या गोल हो जाती है तो यह आशय ( receptacle ) कहलाती है।
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