Tuesday, 6 October 2020

पुष्प : एक परिचय ( भाग 11 )

C - पुंतन्तु का परागकोश से संयोजन ( Attachment of the filament to the Anther ) - यह चार प्रकार से होता है - 
  1 - संलग्न (Adenate) - Filament Anther की पीठ की ओर आधार से शिखर तक जुड़ा रहता है । 
  2- अधःबद्ध ( Basifixed ) - Filament , anther से आधार से जुड़ा रहता है । 
  3- पृष्ठलग्न ( Dorsifixed ) -  Filament , anther के पृष्ठ भाग से जुड़ा रहता है ।
  4 - मुक्तदोली ( Versatile ) -  Filament , anther के मध्य पृष्ठ भाग‌से एक बिन्दु पर जुड़ा रहता है । 
  D - परागकोश का अग्रस्थ भाग ( Apical partof Anther ) -  यह दो प्रकार से होता है - 
  1 - एककोष्ठी (Monothecous) - anther में केवल एक Lobe होता है तथा उसके T. S.  में दो कोष्ठ मिलते हैं ।
  2 - द्विकोष्ठी (Dithecous) - anther में दो Lobe होता है तथा उसके T. S.  में चार कोष्ठ मिलते हैं । 
  E -परागकोश की स्थिति (Position of Anther)-स्थिति के अनुसार परागकोश दो प्रकार के होते हैं  - 
  1- अन्तर्मुखी (Introrse) - जब परागकोश का मुख जायांग ( Gynoecium ) की तरफ होता है । Examle - Potato, Tomato, मकोय आदि ।
  2 - बहिर्मुखी ( Extrorse ) - जब परागकोश का मुख दलपुंज (petal) तरफ होता है । 
  E - स्टैमिनोड़  (Staminode) - कभी कभी पुंकेसर बन्ध्य होता है और छोटा रह जाता है , ऐसे पुंकेसर को स्टैमिनोड़  (Staminode) कहते हैं ।

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