1- कोरस्पर्शी (Valvate) - चक्र के सभी दल अथवा वाह्यदल के किनारे आमने सामने होते हैं तथा एक दूसरे से जुडे होते हैं (Gamopetalous) अथवा अलग - अलग हो सकते हैं (polypetalous) ।
2- संवलित ( Twisted or Convolate ) - जब दो सदस्यों के किनारे आमने सामने न होकर एक दूसरे को ढ़कते ( overlap ) हैं इस स्थिति को Twisted कहते हैं ।
3- कोरच्छादी (Imbricate) - जब पुष्प दल विन्यास में एक पुष्प दल पूरी तरह से स्वतन्त्र तथा दूसरा पूरी तरह से ढका रहता है बाकी 3 सदस्य twisted अवस्था में होते हैं । ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -
(क) आरोही कोरच्छादी ( Ascending Imbricate )-
पश्च ( posterior ) पुष्प दल पार्श्व दलों से ढ़का रहता है ।
(ख) अवरोही कोरच्छादी (Decending Imbricate) -
पश्च ( posterior ) पुष्प दल पार्श्व दलों को ढ़कता है ।
(ग) क्युनकनसियल (Quincuncial ) - इसमें पुष्प दल के दो सदस्य बिना ढके तथा दो पूरी तरह से ढके रहते हैं । पांचवां twisted अवस्था में होता है ।
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