Thursday, 31 August 2023

बीज क्या है ? ( What is seed ? )

आवृतजीवी पौधों में बीज (seed) फल (fruit) के अन्दर बनने वाली वह विशेष संरचना है जो बीजान्ड (ovule) के निषेचन (fertilization) के बाद परिवर्द्धित होती है । प्रत्येक बीज वास्तव में एक छोटा सा पौधा है जो भ्रूण (embryo) के रूप में एक या एक से अधिक कवचों में सुरक्षित रहता है ।

Wednesday, 10 February 2021

कुलों का वर्णन ( भाग 2 ) : कुल सोलेनेसी( Family solanaceae )

  लक्षण (Characterstics ) - सोलेनेसी (Solanaceae) कुल का अभिलक्षणीय लक्षण जायांग (Gynoecium) में तिरछा पट (oblique septa) का मिलना है । यह स्थिति अण्डपों के 45° दक्षिणावर्त (clockwise) दिशा में घूमने के कारण होती है ।           पुष्पक्रम ( Inflorescence ) - पुष्पक्रम ससीमाक्ष (cymose) होता है । यह युग्मशाखित (dichasial) जैसे ; धतूरा (Datura) अथवा वृश्चिकी एकलशाखी (scorpoid monochasium) ;जैसे एट्रोपा (Atropa) आदि ; कुण्डलिनी एकलशाखी (helicoid monochasium) ; जैसे सोलेनम (Solanum) आदि अथवा कक्षस्थ एकलपुष्पी (solitary axillary) जैसे धतूरा ( Datura) आदि । 
    पुष्प ( Flower ) - सहपत्री (bracteate) अथवा असहपत्री (ebracteate) ; त्रिज्यासममित (actinomorphic) , कुछ पौधों में एक व्यास सममित (zygomorphic) ; सम्पूर्ण (complete) ; पंचभागी (pentamerous) तथा जायांगधर (hypogynous) होता है । 
  वाह्य दल पुंज (Calyx)वाह्य दल ( sepal ) 5 संयुक्त वाह्य दली (Gamosepalous) , कोरस्पर्शी (valvate) , आपाती (persistent) , Example बैंगन ( Solanum melongena ) 
 दल पुंज ( Corolla ) - दल (Petal) 5 , संयुुक्त वाह्य दली (gamopetalous) , चक्रिक ( rotate ) , घंंटाकार (bell shaped) कीपाकार (funnel shaped) कभी कभी द्विओष्ठी (bilabiate) : जैसे शाइजेन्थस (Schizanthus) में कोरस्पर्शी (valvate) अथवा व्यावर्तित (twisted) होते हैं । 
  पुमंग ( Androecium ) - पुंकेसर ( stamens) 5 , पृथक पुंकेसरी (polyandrous) , पुंतंतु (filament) छोटे तथा दललग्न (epipetallous) , पुंतंतु (filament) विभिन्न लम्बाई के , परागकोश (anthers) द्विकोष्ठी (dithecous) , आधारलग्न (basifixed) तथा अन्तर्मुखी (introrse) । 
 जायांग ( Gynoecium ) - सामान्यतया द्विअण्डपी (bicarpellary) , युक्ताण्डप (syncarpous) , द्विकोष्ठी (bilocular) , ऊर्ध्व (superior) होता है । बीजाण्डन्यास (placentation) स्तम्भीय (axile) होता है । धतूरा (Datura) में आभासी पट (false septum) के कारण जायांग चतुर्कोष्ठी (tetralocular) हो जाता है ।  टमाटर (Lycopersicon) में बहुकोष्ठीय (multilocular) हो जाता है । बीजाण्डासन (placenta) swollen होता है । इस पर असंख्य बीजाण्ड (ovule) मिलते हैं । Lysium में  दो या एक बीजाण्ड (ovule) मिलते हैं । मिर्च (Capsicum) में द्विकोष्ठी अण्डाशय ऊपर जाकर एककोष्ठीय (unilocular) हो जाता है । 
  फल ( Fruit ) - बेरी ( berry) जैसे - टमाटर (Lycopersicon) और बैंगन (Solanum melongena) में सम्पुट (capsule) जैसे - धतूरा (Datura) में । फल में अपाती वाह्य दल पुंज (Calyx) पाया जाता है । 
   
  

Saturday, 17 October 2020

कुलों का वर्णन ( भाग 1 ) : क्रूसीफेरी कुल ( Family Cruicifereae )

Family - Cruicifereae or Brassicaceae ( Brassica compestris ) 
  1- पुष्पक्रम ( Inflorescence ) : असीमाक्ष (Racemose) ।
  2- पुष्प ( Flower ) - असहपत्री (ebracteate ) वृंती ( pedicellate )त्रिज्यासममित ( actinomorphic ) चतुर्मयी द्विलिंगी ( bisexual ) जायांगधर (hypogynous) 
  3 - बाह्यदलपुंज ( Calyx ) - 4 बाह्यदल पृथक (polysepalous ) बाह्यदल 2+2 ( in two whorls 2+2)। 
  4 - दलपुंज (Calyx) - 4 दल (petals)  पृथकदली (polypetalous)क्रूसीफार्म(cruiciform) कोरस्पर्शी (valvate aestivation ) । 
  5 - पुमंग (Androecium) - 6 पुंकेसर (stamens) 2+4 चतुर्दीर्घी परागकोश (tetradyanamous ) द्विकोष्ठी(dithecous) अन्तर्मुखी (introrse) । 
  6 - जायांग (Gynoecium) - द्विअण्डपी (bicarpellary), युक्ताण्डप (syncarpous) , ऊर्ध्व(superior ovary) एक कोष्ठी( unilocular) बाद में कूट पट रेप्लम बन जाने से द्विकोष्ठी(bilocular) हो जाता है , भित्तीय बीजाण्डन्यास (Perietal placentation) वर्तिका और वर्तिकाग्र एक होता है । 
 7- फल ( Fruit) - सिलीकुआ (Siliqua) । 

Saturday, 19 September 2020

न्यूक्लिक एसिड ( Nucleic Acid )

Freidrick Meischer ( 1869 ) ने पस कोशिकाओं में ( रुधिर की श्वेत कोशिकाएं अर्थात श्वेत रुधिर कोशिकाओं - WBCs ) से केंद्र को को पृथक करके एक पदार्थ निकाला जिसमें सल्फर की मात्रा कम परंतु फास्फोरस की मात्रा अधिक थी । इस पदार्थ को उन्होंने "nuclein" नाम दिया । यह प्रोटीन से भिन्न था क्योंकि प्रोटीन में फास्फोरस नहीं होता । अल्टमान (1889) ने केंद्रीय पदार्थ को निकालकर शुद्ध किया और पता लगाया कि इसमें नाइट्रोजनी बेस , शर्कराएं  तथा फास्फोरिक अम्ल होता है इन्हीं  गुणों के कारण उन्होंने इस पदार्थ का नाम न्यूक्लिन के स्थान पर न्यूक्लिक अम्ल  रखा ।                               न्यूक्लिक अम्लों के अणु प्रोटीन अणुओ से भी बड़े और सबसे महत्वपूर्ण जैविक अणु होते हैं । प्रत्येक कोशिका में न्यूक्लिक अम्ल दो प्रकार के होते हैं -   डी ऑक्सी राइबो न्यूक्लिक अम्ल तथा राइबो न्यूक्लिक अम्ल । 

कोशिका की विशेषता

कोशिका' का अंग्रेजी शब्द सेल (Cellलैटिन भाषा के 'शेलुला' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ 'एक छोटा कमरा' है। कुछ सजीव जैसे जीवाणुओं के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं, उन्हें एककोशकीय जीव कहते हैं जबकि कुछ सजीव जैसे मनुष्य का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उन्हें बहुकोशकीय सजीव कहते हैं। कोशिका की खोज रॉबर्ट हूक ने १६६५ ई० में किया।[1] १८३९ ई० में श्लाइडेन तथा श्वान ने कोशिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया जिसके अनुसार सभी सजीवों का शरीर एक या एकाधिक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है तथा सभी कोशिकाओं की उत्पत्ति पहले से उपस्थित किसी कोशिका से ही होती है।

सजीवों की सभी जैविक क्रियाएँ कोशिकाओं के भीतर होती हैं। कोशिकाओं के भीतर ही आवश्यक आनुवांशिक सूचनाएँ होती हैं जिनसे कोशिका के कार्यों का नियंत्रण होता है तथा सूचनाएँ अगली पीढ़ी की कोशिकाओं में स्थानान्तरित होती हैं।[2]

कोशिकाओं का विधिवत अध्ययन कोशिका विज्ञान (Cytology) या 'कोशिका जैविकी' (Cell Biology) कहलाता है।

आविष्कार एवं अनुसंधान का इतिहास

  • रॉबर्ट हुक ने 1665 में बोतल की कार्क की एक पतली परत के अध्ययन के आधार पर मधुमक्खी के छत्ते जैसे कोष्ठ देखे और इन्हें कोशा नाम दिया। यह तथ्य उनकी पुस्तक माइक्रोग्राफिया में छपा। राबर्ट हुक ने कोशा-भित्तियों के आधार पर कोशा शब्द प्रयोग किया।

उन्होंने जीवित कोशिका को दाँत की खुरचनी में देखा था ।

  • 1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने कोशिका में 'केंद्रक एवं केंद्रिका' का पता लगाया।
  • तदरोचित नामक वैज्ञानिक ने 1824 में कोशिका सिद्धांत (cell theory) का विचार प्रस्तुत किया, परन्तु इसका श्रेय वनस्पति-विज्ञान-शास्त्री श्लाइडेन (Matthias Jakob Schleiden) और जन्तु-विज्ञान-शास्त्री श्वान (Theodor Schwann) को दिया जाता है जिन्होंने ठीक प्रकार से कोशिका सिद्धांत को (1839 में) प्रस्तुत किया और बतलाया कि 'कोशिकाएं पौधों तथा जन्तुओं की रचनात्मक इकाई हैं।'
  • 1953: वाट्सन और क्रिक (Watson and Crick) ने डीएनए के 'डबल-हेलिक्स संरचना' की पहली बार घोषणा की।
  • 1981: लिन मार्गुलिस (Lynn Margulis) ने कोशिका क्रम विकास में 'सिबियोस' (Symbiosis in Cell Evolution) पर शोधपत्र प्रस्तुत किया।
  • 1888: में वाल्डेयर (Waldeyer) ने गुणसूत्र (Chromosome) का नामकरण किया ।
  • 1883: ईमें स्विम्पर (ने पर्णहरित (Chloroplast) Schimper) का नामकरण किया ।
  • 1892: में वीजमैन (Weissman) ने सोमेटोप्लाज्म (Somatoplasm) एवं जर्मप्लाज्म (Germplasm) के बीच अंतर स्पष्ट किया।
  • 1955: में जी.इ पैलेड (G.E. Palade) ने राइबोसोम (Ribosome) की खोज की। [3]

Cell - Structure And Function ( कोशिका संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई )

The cell is a unit of structure & vital activities of living organism which is surrounded by a semipermeable membrane. It has a morphological, chemical , physical organisation which enables it to assimilate , grow & reproduce. 

बीज क्या है ? ( What is seed ? )

आवृतजीवी पौधों में बीज (seed) फल (fruit) के अन्दर बनने वाली वह विशेष संरचना है जो बीजान्ड  ( ovule ) के निषेचन (fertilization) क...