Saturday, 17 October 2020

कुलों का वर्णन ( भाग 1 ) : क्रूसीफेरी कुल ( Family Cruicifereae )

Family - Cruicifereae or Brassicaceae ( Brassica compestris ) 
  1- पुष्पक्रम ( Inflorescence ) : असीमाक्ष (Racemose) ।
  2- पुष्प ( Flower ) - असहपत्री (ebracteate ) वृंती ( pedicellate )त्रिज्यासममित ( actinomorphic ) चतुर्मयी द्विलिंगी ( bisexual ) जायांगधर (hypogynous) 
  3 - बाह्यदलपुंज ( Calyx ) - 4 बाह्यदल पृथक (polysepalous ) बाह्यदल 2+2 ( in two whorls 2+2)। 
  4 - दलपुंज (Calyx) - 4 दल (petals)  पृथकदली (polypetalous)क्रूसीफार्म(cruiciform) कोरस्पर्शी (valvate aestivation ) । 
  5 - पुमंग (Androecium) - 6 पुंकेसर (stamens) 2+4 चतुर्दीर्घी परागकोश (tetradyanamous ) द्विकोष्ठी(dithecous) अन्तर्मुखी (introrse) । 
  6 - जायांग (Gynoecium) - द्विअण्डपी (bicarpellary), युक्ताण्डप (syncarpous) , ऊर्ध्व(superior ovary) एक कोष्ठी( unilocular) बाद में कूट पट रेप्लम बन जाने से द्विकोष्ठी(bilocular) हो जाता है , भित्तीय बीजाण्डन्यास (Perietal placentation) वर्तिका और वर्तिकाग्र एक होता है । 
 7- फल ( Fruit) - सिलीकुआ (Siliqua) । 

Tuesday, 13 October 2020

पुष्प : एक परिचय ( भाग 15 )

पुष्प मानचित्र ( Flower Diagram ) - पुष्प के अंगों की संख्या , उनका आपस मेे सम्बन्ध तथा उनकी पुष्प स्थिति को पुष्प मानचित्र द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है । 
     पूरा पुष्प मानचित्र मातृ अक्ष (mother axis) की स्थिति से सम्बन्ध रखता हुआ बनाया जा सकता है । 

Monday, 12 October 2020

पुष्प : एक परिचय ( भाग 14 )

पुष्प सूत्र (Floral Formula) - पुष्प के विभिन्न अंगों की संख्या तथा स्थिति को विशेष चिन्हों द्वारा एक सूत्र के रुप में प्रस्तुत किया जाता है । 
  पुष्पसूत्र पुष्पमानचित्र में दी गयी सूचना को संक्षेप मेंएक समीकरण द्वारा प्रदर्शित करते हैं । ( Floral Formula is an expression summarizing the information given in a floral diagram ) 
 पुष्प सूत्र में प्रयुक्त प्रमुख चिन्ह 
  

Saturday, 10 October 2020

पुष्प : एक परिचय ( भाग 13 )

4 - वर्तिका (Style) - यह अण्डाशय का का ऊपरी नलिका रुप भाग है । इसके अण्डाशय से जुडने की स्थिति के अनुसार यह निम्न प्रकार कीहोती है - 
 (क) अन्तस्थ ( Terminal ) - अण्डाशय के शीर्ष पर वर्तिका (Style) मिलती है । 
 (ख) पार्श्विक ( Lateral ) - वर्तिका (Style) अण्डाशय के पार्श्व में स्थित होती है । 
  (ग) जायांगनाभिक (Gynobasic) - वर्तिका (Style) पुष्पासन ( Thalamus ) से सीधी जुडी हुई प्रतीत होती है तथा अण्डाशय के मध्य से निकलती हुई प्रतीत होती है Example - Labiateae कुल के पौधे । 
 5 - वर्तिकाग्र ( Stigma ) - यह वर्तिका का शीर्षस्थ स्थान है जो  pollen grains को ग्रहण करता है । यह विभिन्न आकार का हो सकता है । Example - Conical (शंकुरुप) , Capitate (समुंड) , Lobed (पालीवत) , Filamentous (तन्तुरूप) , Drum Shaped (ढोलकाकार) , Dome sheped (गुम्बजाकार)

Friday, 9 October 2020

पुष्प : एक परिचय ( भाग 12 )

जायांग ( Gynoecium ) - यह पुष्प का मादा जनन अंग है । यह बहुत से अण्ड़पों (carpels )  से मिलकर बना होता है जो संयुक्त रूप से   जायांग या पिस्टिल  ( Gynoecium or pistil ) कहलाता है । प्रत्येक अण्ड़प (carpel ) नीचे की ओर एक अण्डाशय ( ovary ) , ऊपर वर्तिका ( style ) और वर्तिकाग्र ( stigma ) का बना होता है । 
    1 -  अण्डाशय ( Ovary ) - जब पुष्प के अन्य अंग अण्डाशय के नीचे से निकलते है तो अण्डाशय ( Ovary) 
उत्तरवर्ती (Superior) कहलाती है और जब पुष्प के अन्य अंग अण्डाशय के ऊपर से निकलते है तो अण्डाशय ( Ovary)
अधोवर्ती ( inferior ) कहलाती है । कभी कभी अण्डाशय ( Ovary)  एक कोष्ठीय (unilocular ) होता है परन्तु कभी कभी अण्डाशय (Ovary) पट (septum) द्वारा अनेक कोष्ठों में बॅंटा रहता तब कोष्ठों की संख्या द्विकोष्ठी , त्रिकोष्ठी अथवा बहुकोष्ठी ( bilocular , trilocular or multilocular ) हो जाती है । 
    2- अण्ड़पों की संख्या ( Number of carpels ) 
      ( क ) - एकाण्डपी (Monocarpellary)-जब जायांग 
 केवल एक carpel का बना होता है तो उसे एकाण्डपी monocarpellary कहते हैं । Example - Leguminoseae and Gramineae कुल । 
      इसी प्रकार अण्ड़पों की संख्या के अनुसार जायांग Gynoecium द्विअण्डपी ( bicarpellary ) त्रिअण्डपी (tricarpellary) अथवा बहुअण्डपी (multicarpellary) होता है । 
   यदि अण्डप स्वतन्त्र होते हैं तो ovary  मुक्ताण्डप (Apocarpous) होती है । जब बहुअण्डपी (multicarpellary) पुष्प के सभी अण्डप पूरी तरह जुड़े होते हैं अर्थात् Carpel , stigma  style एक हो जाते हैं तो अण्डाशय (ovary) युक्ताण्डप (Syncarpous) होता है ।
  3 - बीजाण्डन्यासPlacentation ) - बीजाण्ड (ovule)का बीजाण्डन्यास( Placentation )पर तथा  बीजाण्डासन( placenta) का अण्डाशय(ovary) में अभिविन्यास(arrangement) बीजाण्डन्या (Placentation) कहलाता है। यह निम्न प्रकार का होता है -
(क) सीमान्त(Marginal)- जायांग एकाण्डपी अथवा बहुअण्डपी (Monocarpellary or multicarpellary) मुक्ताण्डप (apocapous) होता है । तथा बीजाण्ड (ovule) कतार में लगे रहते हैं । 
(ख) - अक्षीय (Axile) -जायांग(Gynoecium) Bi(द्विअण्डपी)अथवा बहुअण्डपी (Multicarpellary) syncarpous( युक्ताण्डप) होता है।  बीजाण्डासन(placenta) केन्द्रीय होता है ।  
  (ग) - भित्तीय (Periatal) - जायांग द्वि से बहुअण्डपी (Bi - Multicarpellary ) युक्ताण्डपी ( synvarpous )
 तथा एक कोष्ठीय (unilocular ) होता है बीजाण्ड (ovule) परिधि पर लगे   होते हैं । 
  (घ) - मुक्तस्तम्भीय ( Free Central ) - इसमें जायांग द्वि से बहुअण्डपी (Bi - Multicarpellary )  युक्ताण्डपी (synvarpous ) एक कोष्ठीय (unilocular ) होता है बीजाण्ड (ovule) केन्द्रीय स्तम्भ पर उत्पन्न होते हैं । 
  (ङ) - आधारीय ( Basal ) - इसमें एक या अधिक बीजाण्ड (ovule),  अण्डाशय ( ovary ) के आधार पर लगे रहते हैं । 
 ( च ) - धरातलीय ( Superficial ) - जायांग बहुअण्डपी युक्ताण्डपी बहुकोष्ठीय ( multicarpellary , syncarpous , and multilocular ) होता है बीजाण्ड कोष्ठकों के सम्पूर्ण अन्तः स्तर पर मिलते हैं । वास्तव में बीजाण्डासन परिधि से भीतर की ओर वृद्धि करता है जिससे सम्पूर्ण अन्तः सतह पर बीजाण्ड (ovule) मिलते हैं ।  

Tuesday, 6 October 2020

पुष्प : एक परिचय ( भाग 11 )

C - पुंतन्तु का परागकोश से संयोजन ( Attachment of the filament to the Anther ) - यह चार प्रकार से होता है - 
  1 - संलग्न (Adenate) - Filament Anther की पीठ की ओर आधार से शिखर तक जुड़ा रहता है । 
  2- अधःबद्ध ( Basifixed ) - Filament , anther से आधार से जुड़ा रहता है । 
  3- पृष्ठलग्न ( Dorsifixed ) -  Filament , anther के पृष्ठ भाग से जुड़ा रहता है ।
  4 - मुक्तदोली ( Versatile ) -  Filament , anther के मध्य पृष्ठ भाग‌से एक बिन्दु पर जुड़ा रहता है । 
  D - परागकोश का अग्रस्थ भाग ( Apical partof Anther ) -  यह दो प्रकार से होता है - 
  1 - एककोष्ठी (Monothecous) - anther में केवल एक Lobe होता है तथा उसके T. S.  में दो कोष्ठ मिलते हैं ।
  2 - द्विकोष्ठी (Dithecous) - anther में दो Lobe होता है तथा उसके T. S.  में चार कोष्ठ मिलते हैं । 
  E -परागकोश की स्थिति (Position of Anther)-स्थिति के अनुसार परागकोश दो प्रकार के होते हैं  - 
  1- अन्तर्मुखी (Introrse) - जब परागकोश का मुख जायांग ( Gynoecium ) की तरफ होता है । Examle - Potato, Tomato, मकोय आदि ।
  2 - बहिर्मुखी ( Extrorse ) - जब परागकोश का मुख दलपुंज (petal) तरफ होता है । 
  E - स्टैमिनोड़  (Staminode) - कभी कभी पुंकेसर बन्ध्य होता है और छोटा रह जाता है , ऐसे पुंकेसर को स्टैमिनोड़  (Staminode) कहते हैं ।

Monday, 5 October 2020

पुष्प : एक परिचय ( भाग 10 )

B -पुंकेसर के विभिन्न प्रकार(Types of Anther)-
   1- पृथक पुंकेसरी (polyandrous) - जब पुंकेसर (Anther) स्वतन्त्र होते हैं । 
   2- द्विदीर्घी ( Didynamous ) - चार पुंकेसरों में से दो के filament लंबे तथा दो के छोटे होते हैं । 
  3 - चतुर्दीर्घी ( Tetradynamous ) - पुष्प में 6 पुंकेसर पाए जाते हैं जिनमें दो पुंकेसरों के तंतु छोटे तथा चार के लम्बे होते हैं । Example - Musterd (सरसों ) । 
  4 - संघी ( Adelphous ) - जब Anther के filaments आपस में जुड़कर समूह का निर्माण करते हैं तब इन्हें  संघी (Adelphous ) कहते हैं । ये निम्न प्रकार के होते हैं - 
 अ - एकसंघी ( Monoadelphous ) -  जब पुंकेसरों के तंतु एक संघ में व्यवस्थित होते हैं Example - Hibiscus (गुड़हल ) ।
   ब - द्विसंघी ( Diadelphous ) - इसमें पुंकेसर दो समूहों में मिलते हैं Example - pea ( pisum sativum )  । 
   स - बहुसंघी ( Polyandrous ) - जब सभी filaments संयुक्त होकर कई समूह बनाते हैं । Example - नींबू 
    5 - युक्तकोशी ( Syngenesious ) - इस प्रकार के androecium में सभी पुंकेसरों के filament तो अलग होते हैं परन्तु anther संयुक्त हो जाते हैं। Example - Sunflower (सूर्यमुखी) 
  6 - संपुमंगी (Synandrous) - जब सारे stamens , anther से लेकर filament. तक पूरी तरह संयुक्त हो जाते हैं। Example - Cucurbita 
  7 - दललग्न (Epipetalous ) - जब filament petals के साथ संयुक्त हो जाते हैं।
  8 - पुंजांयांगी ( Gynandrous ) - stamens  Gynoecium के साथ संयुक्त हो जाते हैं। 
  9- परिदललग्न ( Epiphyllous ) - जब filament perianth  के साथ संयुक्त हो जाते हैं। 

  
 

Saturday, 3 October 2020

पुष्प : एक परिचय ( भाग 9 )

पुमंग ( Androecium) - यह पुष्प का नर भाग है इसकी एक इकाई (unit) को पुंकेसर (Stamens) कहते हैं। एक पुंकेसर के 3 भाग होते हैं -
  1- पुंतन्तु (filament) , 2 - योजि (connective) , 3- परागकोश (Anther) । 
    इनकी व्यवस्था ंंपुष्पों में विभिन्न प्रकार से होती है - 
  A - पुंतंतु का परागकोश से योजन ( Attachment of the filament to the Anther ) - पुंतंतु का परागकोश से योजन चार प्रकार का होता है - 
  1- संलग्न (Adenate) - filament anther के पीठ की ओर आधार  से शिखर तक जुड़ा रहता है । 
  2- अधः बद्ध (Basifixed) - filament anther के आधार पर जुड़ा रहता है । 
  3- पृष्ठलग्न (Dorsifixed) - filament anther के पृष्ठ पर किसी स्थान से जुड़ा रहता है ।
  4 - मुक्तडोली (Versatile) - filament anther के पृष्ठ तल पर बीच में एक बिन्दु पर जुड़ा रहता है और anther स्वतन्त्रापूर्वक हिल डुल सकता है । 
     

बीज क्या है ? ( What is seed ? )

आवृतजीवी पौधों में बीज (seed) फल (fruit) के अन्दर बनने वाली वह विशेष संरचना है जो बीजान्ड  ( ovule ) के निषेचन (fertilization) क...