जायांग ( Gynoecium ) - यह पुष्प का मादा जनन अंग है । यह बहुत से अण्ड़पों (carpels ) से मिलकर बना होता है जो संयुक्त रूप से जायांग या पिस्टिल
( Gynoecium or pistil ) कहलाता है । प्रत्येक अण्ड़प (carpel ) नीचे की ओर एक अण्डाशय ( ovary ) , ऊपर वर्तिका ( style ) और वर्तिकाग्र ( stigma ) का बना होता है ।
1 - अण्डाशय ( Ovary ) - जब पुष्प के अन्य अंग अण्डाशय के नीचे से निकलते है तो अण्डाशय ( Ovary)
उत्तरवर्ती (Superior) कहलाती है और जब पुष्प के अन्य अंग अण्डाशय के ऊपर से निकलते है तो अण्डाशय ( Ovary)
अधोवर्ती ( inferior ) कहलाती है । कभी कभी अण्डाशय ( Ovary) एक कोष्ठीय (unilocular ) होता है परन्तु कभी कभी अण्डाशय (Ovary) पट (septum) द्वारा अनेक कोष्ठों में बॅंटा रहता तब कोष्ठों की संख्या द्विकोष्ठी , त्रिकोष्ठी अथवा बहुकोष्ठी ( bilocular , trilocular or multilocular ) हो जाती है ।
2- अण्ड़पों की संख्या ( Number of carpels )
( क ) - एकाण्डपी (Monocarpellary)-जब जायांग
केवल एक carpel का बना होता है तो उसे एकाण्डपी monocarpellary कहते हैं । Example - Leguminoseae and Gramineae कुल ।
इसी प्रकार अण्ड़पों की संख्या के अनुसार जायांग Gynoecium द्विअण्डपी ( bicarpellary ) त्रिअण्डपी (tricarpellary) अथवा बहुअण्डपी (multicarpellary) होता है ।
यदि अण्डप स्वतन्त्र होते हैं तो ovary मुक्ताण्डप (Apocarpous) होती है । जब बहुअण्डपी (multicarpellary) पुष्प के सभी अण्डप पूरी तरह जुड़े होते हैं अर्थात् Carpel , stigma style एक हो जाते हैं तो अण्डाशय (ovary) युक्ताण्डप (Syncarpous) होता है ।
3 - बीजाण्डन्यास ( Placentation ) - बीजाण्ड (ovule)का बीजाण्डन्यास( Placentation )पर तथा बीजाण्डासन( placenta) का अण्डाशय(ovary) में अभिविन्यास(arrangement) बीजाण्डन्या (Placentation) कहलाता है। यह निम्न प्रकार का होता है -
(क) सीमान्त(Marginal)- जायांग एकाण्डपी अथवा बहुअण्डपी (Monocarpellary or multicarpellary) मुक्ताण्डप (apocapous) होता है । तथा बीजाण्ड (ovule) कतार में लगे रहते हैं ।
(ख) - अक्षीय (Axile) -जायांग(Gynoecium) Bi(द्विअण्डपी)अथवा बहुअण्डपी (Multicarpellary) syncarpous( युक्ताण्डप) होता है। बीजाण्डासन(placenta) केन्द्रीय होता है ।
(ग) - भित्तीय (Periatal) - जायांग द्वि से बहुअण्डपी (Bi - Multicarpellary ) युक्ताण्डपी ( synvarpous )
तथा एक कोष्ठीय (unilocular ) होता है बीजाण्ड (ovule) परिधि पर लगे होते हैं ।
(घ) - मुक्तस्तम्भीय ( Free Central ) - इसमें जायांग द्वि से बहुअण्डपी (Bi - Multicarpellary ) युक्ताण्डपी (synvarpous ) एक कोष्ठीय (unilocular ) होता है बीजाण्ड (ovule) केन्द्रीय स्तम्भ पर उत्पन्न होते हैं ।
(ङ) - आधारीय ( Basal ) - इसमें एक या अधिक बीजाण्ड (ovule), अण्डाशय ( ovary ) के आधार पर लगे रहते हैं ।
( च ) - धरातलीय ( Superficial ) - जायांग बहुअण्डपी युक्ताण्डपी बहुकोष्ठीय ( multicarpellary , syncarpous , and multilocular ) होता है बीजाण्ड कोष्ठकों के सम्पूर्ण अन्तः स्तर पर मिलते हैं । वास्तव में बीजाण्डासन परिधि से भीतर की ओर वृद्धि करता है जिससे सम्पूर्ण अन्तः सतह पर बीजाण्ड (ovule) मिलते हैं ।